लव मैरिज या अरेंज मैरिज?
Love Marriage या Arrange Marriage - कुंडली के किस भाव से बनता है लव मैरिज या अरेंज मैरिज का योग
विवाह का हमारी भारतीय संस्कृति मे विशेष महत्व है| भारतीय संस्कृति मे पौराणिक समय से ही अरेंज मैरिज को महत्व दिया गया है| आप श्री राम और सीता माता का ही उद्धारण ले सकते है| यदि जीवनसाथी अच्छा हो तो विवाह के बाद भी प्रेम होना निश्चित है| यह ही सुखी व्यवहायिक जीवन का मुख्य अंग है| परंतु आज के समय मे लोग लव मैरिज को ज्यादा महत्व देने लगे है| उनका यह मानना है की यदि अपने जीवनसाथी के साथ विवाह से पूर्ण अच्छे संबंध हो तो व्यवहायिक जीवन सुख एवं समृद्धि से व्यतीत होता है| पर आज भी लोग इस दुविधा मे है की ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक लव मैरिज या अरेंज मैरिज मे से किस शादी को करना होगा लाभकारी| अगर आप भी इसी दुविधा मे घिरे हुए है तो onegodmed आपकी इस समस्या का हल लेकर आया है| इस लेख मे हम आपको बताएंगे की ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कौन सा विवाह है सफलता के मामले मे बहतर|
लव मैरिज या अरेंज मैरिज मे ज्योतिष शास्त्र की भूमिका
भारतीय संस्कृति मे ज्योतिष शास्त्र की अत्यधिक अहमियत है| कहते है की जिस विवाह का योग ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली एवं ग्रहों के मेल से होता है वो स्त्री-पुरुष सात जन्मों के लिए विवहा बंधन मे बंद जाते है| शास्त्रों मे यह भी बताया गया है की विवाह दो आत्माओ का मिलन है और आत्मा का वर्णन ग्रहों के संदरब मे किया गया है| ज्योतिष अनुसार राहू, केतु, शुक्र, शनि, बुध, ब्राहस्पति, सूर्य, चंद्र एवं मंगल नव ग्रह कहलाते है| इन नव ग्रह मे से चंद्र, शुक्र, एवं मंगल ग्रह के जातकों की कुंडली मे प्रेम विवाह का योग होता है|
स्त्री की कुंडली मे यौन जीवन का कारक ग्रह मंगल होता है तथा पुरुष की कुंडली मे यौन कारक ग्रह शुक्र को माना जाता है| राहू, केतु, मंगल, सूर्य, एवं शनि को अशुभ ग्रह कहा जाता है| शुक्र ग्रह को प्रेम का कारक भी कहा जाता है| चंद्र आकर्षण संवेदनशीलता, काव्यमयता और रसिकता का कारक ग्रह माना जाता है| वैसे तो हर ग्रह अलग अलग राशि के कारक ग्रह माने जाते है परंतु शुक्र-चंद्र, शुक्र-मंगल, शुक्र-मंगल, शुक्र-चंद्र, शुक्र-चंद्र-मंगल, शुक्र-शनि, आदि ग्रह शादी शुदा जीवन मे विचित्रता उत्पन्न करते है|
इन सब कारणों की वजह से जातक विवाह से पहले अपनी की कुंडली की जाच करवाते है| प्रेम विवाह मे भी कुंडली का मेल करवाना जरूरी होता है इससे जातकों की ग्रह दशा के संबंद मे जानकारी प्राप्त होती है| onegodmed आपका और अन्य लाखों लोगों का भरोसेमंद astrology partner आपको बताने जा रहे है की किस ग्रह से यह सुनिश्चित करे की आपके भाग्य मे लव मैरिज करना लिखा है या अरेंज मैरिज।
कैसे जाने की मेरे भाग्य मे प्रेम विवाह करना लिखा है या अरेंज
● यदि आपकी कुंडली के सातवे भाव मे मंगल विराजित है या वे आपकी राशि के स्वामी है तो संभव है की आपका प्रेम विवाह होगा|
● यदि आपकी राशि मे शुक्र की राहू या शनि से युति हो तो ऐसे जातकों के भाग्य मे प्रेम विवाह करना लिखा है|
● यदि शुक्र जातक के लग्न भाव मे या उसके सप्तम भाव मे विराजित है तो आपके भाग्य मे प्रेम विवाह योग है|
● यदि आपकी कुंडली मे शुक्र ग्रह प्रथम, पांचवे या नवं भाव मे विराजित है, एवं गुरु का लग्न भाव मे प्रवेश, मंगल पांचवे भाव मे बलवान हो तथा आपकी कुंडली मे शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो आपके भाग्य मे प्रेम विवाह का योग होगा|
● यदि आपकी राशि के पंचम भाव मे सप्तम भाव के स्वामी, सप्तम भाव से संबंद हो तो आपकी राशि मे प्रेम विवाह का योग लिखा है|
● यदि आपकी कुंडली मे शुक्र एवं चंद्र की युति हो तो निश्चय ही आपके जीवन मे प्रेम विवाह होना लिखा है|
● यदि आपकी कुंडली के पंचम, सप्तम, तथा एकादश के स्वामी के परस्पर संबंद है तो आपके भाग्य मे प्रेम विवाह लिखा है|
कुंडली मे प्रेम विवाह का योग
● अगर किसी जातक का सप्तमेश भाव पीड़ित है तो उन जातकों को प्रेम तो होता है पर वे प्रेम विवाह करने मे सफल नहीं हो पाते|
● यदि ऐसे जातकों का प्रेम विवाह भी होता है तो उनका विवाह सफल नहीं हो पाता है|
● अगर जातक की कुंडली मे सप्तमेश एवं पंचमेश षष्ठ, अष्टम तथा द्वादश भाव मे विराजित होते है तो कुछ सीमा तक उनका प्रेम विवाह सफल हो सकता है|
● यदि किसी जातक की कुंडली मे सप्तमेश एवं पंचमेश पीड़ित है तो संभवत ऐसे जातकों को प्रेम विवाह मे धोका मिल सकता है या उनका विवाह असफल भी हो सकता है|
● यदि किसी जातक की राशि के सप्तमेश भाव मे शुक्र निर्बल है तो ऐसे जातकों के जीवन मे प्रेम विवाह का सुख नहीं है|
इन जातकों की होती हैं अरेंज मैरिज
● यदि जातक की कुंडली मे सप्तम के स्वामी आठवें, दसवें, ग्यारहवें या बारहवें भाव मे विराजित है तो ऐसे जातक की होती है अरेंज मैरिज|
● यदि जातक के लग्न के स्वामी तीसरे, छठे, आठवें, दसवें, ग्यारहवें एवं बारहवें भाव मे विराजित हो तो ऐसे जातकों को मिलता है अरेंज मैरिज का सुख|
● जब जातक के लग्न के स्वामी पंचम एवं सप्तम भाव के बीच योग नहीं बंता है तो ऐसे मे जातक के भाग्य मे अरेंज मैरिज करना लिखा है|
● यदि जातक के लग्न के स्वामी नौवे भाव मे विराजित हो तहथ नौवे भाव के स्वामी दसवे भाव मे विराजित हो तब इसके अंतर्गत जातकों की अरेंज मैरिज होती है|
● यदि जातक के लग्न के स्वामी छठे भाव मे विराजित हो तहथ छठे भाव के स्वामी दशम भाव मे विराजित हो तो ऐसे मे जातक के भाग्य मे अरेंज मैरिज के अवसर उत्पन्न हो सकते है|
अब एक प्रशन यह भी उठता है की जातक की कुंडली मे कौन सा ग्रह किस भाव मे विराजित है| यदि आप भी अपनी कुंडली के ग्रह दशा के विषय की जानकारी चाहते है तो आप ज्योतिष शास्त्र की सहायता लेकर किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है| Onegodmed के Expert Astrologer आपको ग्रह दशा, ग्रह दोष, विवाह मुहरत, प्रेम विवाह का भाव, अरेंज मैरिज के अवसर,आदि से संबंधित जानकारी प्राप कर सकते है| हमारी website के user friendly interface की मदद से आप आसानी से हमारे अनुभवी ज्योतिष से call या chat के माध्यम से संपर्क कर ज्योतिष शास्त्र के विषय मे राय ले सकते है|